हरियाली तीज: कैसे हुई शुरुआत, क्यों मनाते हैं ये त्योहार?
- हरियाली तीज श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है
सावन का महीना आते ही त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है. सावन में ही हरतालिका तीज यानी हरियाली तीज भी मनाई जाती है. इस त्योहार को महिलाएं मनचाहा वर और सौभाग्य पाने के लिए मनाती हैं.
ये त्योहार हर साल सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन मनाया जाता है. इसे हरियाली तीज नाम दिया गया है.
मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने कठोर तपस्या से भगवान शिव को पति के रूप में पाया था. लड़किया और विवाहित महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं. इस दिन श्रृंगार करने के बाद पेड़, नदी और जल के देवता वरुण की पूजा की जाती है
जानिए तीज के त्यौहार का महत्व पूजा विधि और इस त्यौहार को मनाने के पीछे का कारण
हिंदू धर्म में श्रावण मास को बेहद विशेष माना जाता हैं। श्रावण मास में शिवजी की पूजा की जाती है, सावन में ही हरियाली तीज त्यौहार भी मनाया जाता है।आस्था भक्ति उल्लास का यह त्यौहार शिव और पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष में मनाया जाता हैं। चारों तरफ हरियाली होने या हरियाली के मौसम में इस त्यौहार के आने के कारण इसे हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है। तीज श्रावण मास मैं शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है, ये त्यौहार विशेषकर महिलाओं का त्योहार होता हैं। हरियाली तीज में चारों तरफ हरियाली की चादर बिछी होती है अर्थात प्रकृति खुश होती है।व्रक्ष की शाखाओं पर झूले पड़े होते हैं, पूर्व उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज के नाम से मनाते है। महिलाओं के लिए इस त्योहार का एक विशेष महत्व होता है।
सबसे पहली और मुख्य रसम होती है, मेहंदी
इस त्यौहार के उत्सव में कुंवारी से लेकर विवाहिता युवा से लेकर वृद्ध हर तरह की महिलाएं सम्मिलित होती हैं। नवविवाहित युक्तियां अपने पहले सावन में अपने मायके आकर इस त्यौहार में शामिल होती हैं अर्थात अपनी शादी के बाद का पहला सावन वह मायके में बिताती है।
विवाहित स्त्रियां हरे रंग का श्रंगार करती हैं। इसके पीछे धार्मिक आस्था तो है ही साथ में एक विज्ञानिक कारण भी माना जाता है की महंदी सुहाग का प्रतीक मानी जाती है इसलिए सुहागन इस त्यौहार में मेहंदी जरूर लगाती है। मेहंदी की शीतल तासीर रिश्तो में प्यार और उमंग भरने में एक अहम भूमिका निभाती है।इस त्योहार के अवसर पर नई विवाहिता की सास और बड़े बूढ़े उसे हरी चूड़ियां कपड़े और श्रृंगार का सामान भेंट करते हैं, जिसके पीछे यह कारण है की उसका सुहाग सदैव बना रहे और वंश की वृद्धि हो।
तीज की पूजा की विधि
सबसे पहले इस दिन महिलाओं को जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और इसके बाद शुद्ध मन से पूजा के लिए बैठकर ‘उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’ मंत्र का जाप करना चाहिए। ध्यान रहे कि पूजा शुरू करने से पहले काली मिट्टी से भगवान शिव और मां पार्वती व भगवान गणेश की मूर्ति को बना लेना चाहिए। फिर थाली में सुहाग की सामग्रियों को सजाकर माता पार्वती को चढ़ाना चाहिए। जिसके बाद भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाकर तीज व्रत की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए |
