Speech on Ambedkar Jayanti in Hindi » अंबेडकर जयंती पर दें यह सरल भाषण 14 अप्रैल को भारतीय संविधान के निर्माता समाज सुधार डॉ. बीआर अंबेडकर की जयंती है। इस अवसर सरकार ने राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया है। बाबासाहेब अंबेडकर ने अपना पूरा जीवन समाज के पिछड़े वर्गों, दलितों और गरीबों के उत्थान के लिए न्योछावर कर दिया। वह एक प्रख्यात अर्थशास्त्री, कानूनविद और राजनेता थे।
उन्होंने सिर्फ सामाजिक न्याय व सामाजिक असमानता के खिलाफ ही लड़ाई नहीं लड़ी बल्कि उन्होंने महिला सशक्तिकरण, महिलाओं को बराबरी का अधिकार, जनसंख्या नियंत्रण, यूनिफॉर्म सिविल कोड, मौलिक दायित्व की भी बात की। अपने प्रगतिशील विचारों के चलते वह आज करोड़ों भारतीयों के प्रेरणास्त्रोत हैं। पूरा देश बाबासाहेब को उनकी जयंती पर याद कर रहा है। देश की इस महान विभूति को श्रद्धांजलि दे रहा है।
पूरा नाम | डॉ भीम राव अम्बेडकर |
अन्य नाम | बाबासाहेब, भीम |
पेशा | वकील, अर्थशास्त्री, समाजिक प्रवक्ता, राजनीतिज्ञ |
प्रसिद्धि | भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में |
राजनीतिक पार्टी | स्वतंत्र लेबर पार्टी |
जन्म | 14 अप्रैल 1891 |
जन्म स्थान | महू, इंदौर मध्यप्रदेश |
गृहनगर | महू, इंदौर मध्यप्रदेश |
मृत्यु | 6 दिसंबर, 1956 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली, भारत |
मृत्यु का कारण | मधुमेह से पीढित होने के बाद में सोते ही रह गए और उनकी मृत्यु हो गई |
उम्र | 65 साल |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिंदू |
जाति | दलित, महार |
सम्मान | भारत रत्न |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
माता-पिता | भिमबाई मुर्बद्कर, रामजी मालोजी सकपाल |
विवाह | रमाबाई (1906) सविता अम्बेडकर (1948) |
BR Ambedkar Birth, Family, Wife डॉ भीमराव अम्बेडकर का जन्म, परिवार, पत्नी, विवाह
अम्बेडकर जी अपने माँ बाप की 14 वी संतान थे. उनके पिता इंडियन आर्मी में सूबेदार थे, व उनकी पोस्टिंग इंदौर के पास महू में थी, यही अम्बेडकर जी का जन्म हुआ. 1894 में रिटायरमेंट के बाद उनका पूरा परिवार महाराष्ट्र के सतारा में शिफ्ट हो गया. कुछ दिनों के बाद उनकी माँ चल बसी, जिसके बाद उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली, और बॉम्बे शिफ्ट हो गए. 1906 में 15 साल की उम्र में उनका विवाह 9 साल की रमाबाई से हो गया. .
BR Ambedkar Caste Issue and Early Life डॉ भीमराव अम्बेडकर जाति भेदभाव एवं आरंभिक जीवन
छुआ छूत के बारे में अम्बेडकर जी ने बचपन से देखा था, वे हिन्दू मेहर कास्ट के थे, जिन्हें नीचा समझा जाता था व ऊँची कास्ट के लोग इन्हें छूना भी पाप समझते थे. इसी वजह से अम्बेडकर जी ने समाज में कई जगह भेदभाव का शिकार होना पड़ा. इस भेदभाव व निरादर का शिकार, अम्बेडकर जी को आर्मी स्कूल में भी होना पड़ा जहाँ वे पढ़ा करते थे, उनकी कास्ट के बच्चों को क्लास के अंदर तक बैठने नहीं दिया जाता था. टीचर तक उन पर ध्यान नहीं देते थे. यहाँ उनको पानी तक छूने नहीं दिया जाता था, स्कूल का चपरासी उनको उपर से डालकर पानी देता था, जिस दिन चपरासी नहीं आता था, उस दिन उन लोगों को पानी तक नहीं मिलता था.
स्कूल, कॉलेज, विभिन्न कार्यालयों, सार्वजनिक जगहों पर कार्यक्रम हो रहे हैं और राष्ट्र निर्माण में उनके कार्यों पर प्रकाश डाला जा रहा है। अगर आप इन कार्यक्रमों में भाषण देने जा रहे हैं तो नीच दी गई स्पीच से उदाहरण ले सकते हैं –
बीआर अंबेडकर जयंती पर भाषण ( Speech on Ambedkar Jayanti in Hindi )
माननीय प्रधानाचार्य, उपाध्यक्ष, शिक्षकगण और मेरे प्रिय मित्रों – आप सभी को मेरा नमस्कार!
आज हम यहां बाबासाहेब अंबेडकर जयंती के अवसर पर उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्रित हुए हैं। आप लोगों ने मुझे भारत रत्न डॉ. बीआर अंबेडकर जैसी महान विभूति पर अपने विचार व्यक्त करने का मौका दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद। डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में एक दलित परिवार में हुआ था। वह महार जाति से ताल्लुक रखते थे जिसे उस समय अछूत समझा जाता था। इसके चलते बचपन से ही अंबेडकर को समाज में काफी भेदभावपूर्ण व्यवहार सहना पड़ा। दलित होने के चलते करियर में आगे बढ़ने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा। अपने स्कूल में वह अकेले दलित छात्र थे। उन्हें अन्य बच्चों से अलग बैठाया जाता था जो उनसे बात करने से बचते थे
भी को मेरा नमस्कार!
आज हम यहां बाबासाहेब अंबेडकर जयंती के अवसर पर उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्रित हुए हैं। आप लोगों ने मुझे भारत रत्न डॉ. बीआर अंबेडकर जैसी महान विभूति पर अपने विचार व्यक्त करने का मौका दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद। डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में एक दलित परिवार में हुआ था।
वह महार जाति से ताल्लुक रखते थे जिसे उस समय अछूत समझा जाता था। इसके चलते बचपन से ही अंबेडकर को समाज में काफी भेदभावपूर्ण व्यवहार सहना पड़ा। दलित होने के चलते करियर में आगे बढ़ने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा। अपने स्कूल में वह अकेले दलित छात्र थे। उन्हें अन्य बच्चों से अलग बैठाया जाता था जो उनसे बात करने से बचते थे
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कटु आलोचना करने के बावजूद बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिष्ठा एक महान विद्वान और कानूनविद की थी। यही कारण था कि आजादी के बाद उन्हें देश का पहला कानून मंत्री बनाया गया। उन्हें भारतीय संविधान निर्माण की सबसे अहम जिम्मेदारी दी गई।
उन्हें संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। संविधान निर्माण के लिए उन्होंने कई देशों के संविधान का अध्ययन किया। उन्हें संविधान जनक व संविधान निर्माता कहा जाता है। वह महान अर्थशास्त्री थे। आरबीआई की परिकल्पना उनके विचारों पर ही आधारित थी।